भोपाल में कोरोना संक्रमित महिला से दुष्कर्म के बाद मौत का मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को एक महीने तक दबा कर रखा गया। अब इस पूरे मामले पर भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) और पुलिस प्रशासन के बीच खींचतान शुरू है। बीएमएचआरसी का कहना कि महिला के साथ दुष्कर्म नहीं, बल्कि छेड़छाड़ हुई थी। महिला ने अपने परिवार को घटना की जानकारी नहीं देने की बात कही थी, इसलिए परिजनों को सूचना नहीं दी गई।
अस्पताल पर गलत सूचना देने का आरोप
वहीं निशातपुरा पुलिस के टीआई महेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि घटना के दो दिन बाद पुलिस की टीम महिला के बयान लेने अस्पताल पहुंची, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने का हवाला देकर अस्पताल प्रबंधन ने महिला का बयान लेने से रोक दिया
पुलिस ने अस्पताल से पत्र लिखकर महिला के परिवार की जानकारी मांगी, लेकिन अस्पताल ने उसका जो पता दिया, वहां गलत थी। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि संक्रमित महिला का जो पता रिकॉर्ड में दर्ज था, वही पुलिस को दिया गया। वहीं इस मामले में गैस पीड़ित संगठन भी कूद गए हैं। पीड़ित संगठनों ने अस्पताल से सवाल किया है कि महिला वार्ड में पुरुष क्या कर रहा था? हालांकि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजिका साधना प्रधान ने अस्पताल प्रबंधन और आईसीएमआर की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जिस वार्ड में महिला भर्ती है, वहां पुरुष वार्ड ब्वॉय क्या कर रहा था? स्टाफ का कोई कर्मचारी वहां क्यों मौजूद नहीं था। वार्ड में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा अस्पताल जूनियर और रेसीडेंट डॉक्टर्स के हवाले है।
मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट तलब की
मानवाधिकार आयोग ने दुष्कर्म मामले में डीआईजी भोपाल से 10 दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, आयोग ने हादसे के बाद अगले दिन महिला की मौत हो जाने और पुलिस और अस्पताल की ओर से घटना के बारे में महिला के परिवार वालों को जानकारी नहीं देने को गंभीरता से लेते हुए मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।