प्रशासनिक लापरवाही पड़ सकती है लोगों पर भारी । आदिवासी मोहल्ले के बीच का छात्रावास बनाया गया क्वॉरेंटाइन सेंटर 100डायल गरीबों से मांग रही है पैसा
पुलिस प्रशासन भी भटका रास्ता
- देश में फैल रहे कोरोना संक्रमण रोग की रोकथाम के लिए भले ही शासन सभी कार्यों को रोककर पूरे प्रशासनिक अमला को इसकी रोकथाम में लगा दिया हो लेकिन उपखंड मझौली का प्रशासन इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखा रहा है ।जैसे-जैसे कोविड-19 का संक्रमण प्रदेश में जोर पकड़ रहा है वैसे -वैसे यहां का प्रशासनिक अमला दिन प्रतिदिन निष्क्रिय होता दिख रहा है। जो भी विभागीय प्रशासनिक अमला स्वास्थ्य व पुलिस शुरू- शुरू में लगनशीलता से काम में लगा हुआ था वह भी अब रास्ता भटक चुका है ।इसका कारण समझ से परे है कि यह हमला काफी दिनों की परेशानियों से थक हार चुका है या की किसी प्रमुख जिम्मेदारों के वजह से व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है फिलहाल इसका कारण अभी खुलकर सामने नहीं आ रहा है प्रशासनिक अमले की लापरवाही पूर्व से ही सामने आ रही थी। लेकिन हद तो तब हो गई जब हमारी टीम विगत दिनों क्वॉरेंटाइन सेंटरों का जायजा लेने पहुंची इस दौरान सबसे बड़ी लापरवाही नगर परिषद मझौली के वार्ड क्रमांक 5 में आदिवासी बस्ती के बीच संचालित बिना बॉण्डरी वाल के छात्रावास में देखने को मिली। बता दें कि इस छात्रावास के चारों ओर आदिवासी समुदाय के लोगों की बस्ती है जो छात्रावास के काफी करीब है इस स्थिति में वाजिब है कि इस समुदाय के छोटे छोटे लड़के निश्चित ही क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों के बीच दूरी बनाए रखने में सामर्थ नही हो सकेंगे। वहीं शासन भी इस स्थिति को नजरअंदाज करते हुए ऐसे स्थान के छात्रावास को क्वॉरेंटाइन सेंटर बना दिया जो लोगों के समझ से परे है इस संबंध में जब इस मोहल्ले के आदिवासियों से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि क्या करें जब शासन प्रशासन को यह समस्या समझ में नहीं आई तो हम लोगों को कैसे समझ सकते हैं ।हद तो तब हो गई जब वहां के क्वॉरेंटाइन लोग गांव में छोटे-छोटे बच्चों के बीच घूमते देखे गए जब उनसे चर्चा की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि हम लोग लगभग 1 हफ्ते से यहां ठहरे हुए हैं घूमने-फिरने या दुकान मैं सामान लेने आ जाते हैं जिस समय छात्रावास का जायजा लिया गया उस समय प्रशासन का कोई भी अमला मौजूद नहीं था इससे साफ जाहिर होता है कि मझौली खंड प्रशासन इस रोग की रोकथाम के लिए कितनी जिम्मेदारी से कार्य कर रहा है खबर यह भी है कि जिले या प्रदेश के बाहर से आने वाले लोगों को कुछ समय के लिए क्वॉरेंटाइन किया गया जिसके बाद वे अपने-अपने घर पहुंच गए वैसे भी ज्यादातर लोग बाहर से सीधे अपने घरों में आ गए हैं इस स्थिति को देखते हुए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि कहीं प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना ना पड़ जाए ।शुरू शुरू में स्वास्थ्य व पुलिस विभाग जरूर बड़ी जिम्मेदारी से आपने कर्तव्य पर जुटा हुआ था किंतु लोगों व वरिष्ठ नागरिकों की माने तो यह विभाग भी अपने पुराने काम की ओर रुख अपनाने लगा है कहीं कर्मचारियों की रिपोर्ट दर्ज करने में हिला हवाली करना अपराधियों को गिरफ्तार ना करने की चर्चा है तो कहीं 100 नंबर के कर्मचारियों द्वारा किसी के बहकावे में आकर गरीबों से लूटपाट वह परेशान करने की चर्चा प्रकाश में आ रही है विगत दिनों थाने में की गई बैठक भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही एक ओर जहां भाजपा के लोगों ने सूचना न दिए जाने का आरोप लगाया है वही बैठक में पी एच क्यू के तहत थाने में तैनात किए गए थाना प्रभारी के पिता एक बड़े अधिकारियों के लाइन में सिविल ड्रेस में बैठे रहने का चर्चा भी काफी प्रचलित है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस कार्यप्रणाली जिम्मेदार हैं कौन? किसके हाथों में इसकी कमान सौंपी गई है? फिलहाल जो भी हो प्रशासनिक अमला हर स्थिति में हिला हवाली कर करने में जुटा हुआ है । राशन व सब्जी विक्रेताओं की जो सूची खंड प्रशासन द्वारा जारी की गई है ।वे दुकानदार भी जिम्मेदारियों से दूर हट रहे हैं । किसी का कहना है कि कम से कम 1 हफ्ते का सामान मगाए तभी पहुंचाया जाएगा किसी का कहना है कि बाहर से सामान ही नहीं आ रहा। किसी का नौकर का अभाव है,किसी का नही उठता फोन तो सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासनिक कार्यवाही कागजों तक ही सीमित रह जाएगी। मझौली उपखंड की एरिया लगभग 40 किलोमीटर दूर तक फैली हुई है ज्यादातर गरीब मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं । दुकान दारो की जारी लिस्ट में मंझौली/मड़वास की दुकाने सामिल की गई है जो दूर-दराज के लोगों को होम डिलीवरी देने की सुविधा मुहैया कराने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं ।ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है कि लगभग 21 दिनों से घरों में कैद गरीब मजदूरों की समस्या कहीं ना कहीं उनको परेशानी में डाल रखी होगी। जिसके लिए हमारे मझौली क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी वेंकट रमन सिंह खुद जिला प्रशासन से चर्चा कर व्यवस्था सुधार किए जाने के लिए अपील किए हैं। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन खंड प्रशासन की लापरवाही पर क्या कुछ कार्यवाही कर इसे सुधारने का प्रयास करेगा ।
जहां मेरी बिल्डिंग है जहां सुविधा है वही सेंटर बनाया गया है वे लोग बीमार नहीं है आदिवासियों द्वारा शासकीय जमीन में अतिक्रमण का घर बनाया गया है फिर भी मैं कल से पुलिस बल तैनात कर देंगे वह बाहर नहीं निकलेंगे
चंद्रमणि सोनी तहसीलदार मझौली