*ऊर्जा के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाली कंपनी के अस्पताल में अव्यवस्था हावी*
*प्रबंधन ने किया आँख बंद , जिला प्रशासन खामोश*
राज एक्सप्रेस सिंगरौली : ऊर्जाधानी के नाम से विख्यात मध्यप्रदेश का सिंगरौली जिला यु तो प्रदेश में ही नही बल्कि देश विदेश में अपनी उपलब्धियों को लेकर जाना जाता है । सिंगरौली जिला विद्युत उत्पादन व कोयला उत्पादन में भी बड़ा कीर्तिमान स्थापित कर चुका है । जाहिर सी बात है कि जहाँ इतना सब कुछ है वहाँ पर आमजन मानस की स्थिति और उनसे जुड़ी हुई व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी भी इन कंपनियों के बनती है पर स्थितियां ठीक इसके विपरीत हैं ।
*स्वास्थ्य सुविधाओं की है दरकार*
भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ( एनसीएल ) के सबसे बड़े अस्पताल नेहरु शताब्दी चिकित्सालय बदहाली के आशु बहा रहा है । इसकी बदहाली का अंदाजा आप यूं ही लगा सकते हैं की इलाज के लिए प्राइवेट मरीजों को बेहतर इलाज के लिए बड़ी ही मुश्किल से हॉस्पिटल में दाखिला मिलता है प्राइवेट मरीजों से भर्ती होने के पूर्व ही किसी भी एनसीएल कर्मी के मेडिकल कार्ड की मांग की जाती है अगर यह कार्ड मरीज के पास उपलब्ध ना हो तो उसे यह कहकर टाल दिया जाता है कि अस्पताल में बेड खाली नहीं । इतना ही नहीं जिस किसी तरह से भर्ती होने के बाद डॉक्टरों के द्वारा मरीजों को महँगी महँगी दवाओँ के भारी भरकम बिल के बोझ तले दबा दिया जाता है।
*दवा विक्रेता एजेंटों की रहतीं है लम्बी कतार*
दवा विक्रेता कंपनियों के मार्केट रिप्रेजेंटेटिव की लाइन अक्सर डॉक्टर चेंबर के बाहर साफ नजर आती है इन एजेंटों के द्वारा डॉक्टर को दवाइयों व उनके कमिशन के बारे में बखूबी बताया जाता है व महंगे गिफ्ट का प्रलोभन भी दिया जाता है । ऐसे में डॉक्टरों के द्वारा मरीजों को जेनेरिक दवाएँ न लिखकर कमीशन वाली महँगी ब्राण्ड की दवाएं लिखी जाती हैं , और ये दवाएं मरीजों को नेहरू अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्थित मेडिकल शॉप पर ही मिलती हैं ।
निजी एम्बुलेंस का व्यापार तेजी फलफूल रहा जिम्मेदार खामोश
जिले के चुनिंदा अस्पतालों में शुमार नेहरू शताब्दी चिकित्सालय के मुख्य द्वार पर ही निजी एम्बुलेंस की भरमार है पर यहाँ पर भी भारी भरकम लूट चल रही ।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन निजी एम्बुलेंस की सेवाओं को लेने के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ती है इनका किराया भी समय के अनुसार होता है तत्काल का किराया कुछ अलग कुछ समय के बाद के बुकिंग का किराया कुछ अलग । पर अस्पताल प्रबंधन इस पर भी लगाम लगाने में असफल है ।
*चितरंगी सिंगरौली से बी.पी. सिंह के साथ शशि कुशवाहा की रिपोर्ट*