कागजों तक सीमित है क्वॉरेंटाईन सेंटर प्रशासन की तैयारी। जमीनी स्तर में नहीं दिख रहा सार्थक परिणाम

कागजों तक सीमित है प्रशासन की तैयारी। जमीनी स्तर में नहीं दिख रहा सार्थक परिणाम।       


सीधी मझौली   एक ओर जहां कोरोना जैसे घातक संक्रमण बचाव के लिए शासन द्वारा 14 अप्रैल तक संपूर्ण देश लॉक डाउन कर उसके बचाव और उपचार के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को लगन शीलता से साथ काम करने का निर्देश जारी किया गया है । वही मझौली क्षेत्र में यदि देखा जाए तो पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर कोई भी विभाग अपनी भूमिका  निभाता नही दिख रहा है। केवल कागजी कोरम पूर्ण करने में जुटा हुआ है ।जिसका ताजा मामला मझौली क्षेत्र में कोरोना संक्रामक रोग के बचाव व उपचार के लिए मझौली उपखंड अंतर्गत 245 बेड़ो का 6 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है।जिसने प्री मैट्रिक आदिवासी जाति कन्या छात्रावास मझौली 1/२(चुवाही)20, आदिवासी पोस्ट मेट्रिक कन्या छात्रावास मझौली 25 ,आदिवासी बालक छात्रावास मझौली 30, अंबेडकर भवन 15, शासकीय मॉडल विद्यालय मझौली 30, कस्तूरबा गांधी बालिका आवासी आदिवासी विद्यालय टिकरी 125, बना होना बताया जा रहा है जब इसकी पड़ताल करने सर्वाधिकार टाइम्स की टीम पहुची निकली  इन सेंटरों में  अभी किसी तरह से कोई तैयारी नहीं की गई है ।मॉडल स्कूल, अंबेडकर भवन ,कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय टिकरी में ताला लटका रहा, वही अन्य जगहों में मिले कर्मचारियों के द्वारा बताया गया कि आज से चार-पांच दिन पहले हमारे ऐसी कुछ लोगों के साथ आए थे सर्वे कर गए हैं इसके अलावा किसी तरह से कोई तैयारी अभी तक नहीं की गई है। शासकीय मॉडल स्कूल मझौली के प्रभारी प्राचार्य प्रेम नारायण मिश्रा द्वारा फोन करने पर बताया गया कि इस के लिए हमें कुछ नहीं कहा गया है ना तो अभी कुछ तैयारी की गई है स्कूल की चाबी हमारे कर्मचारियों के पास ही है हमें जहां तक जानकारी है तो इसका सर्वे तक ही किया गया है जरूरत पड़ने पर सेंटर बनाया जाएगा। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ नगर परिषद मझौली में भी जरूरतमंदों को अभी तक कोई बचाव व राहत सामग्री  प्रदान नहीं की गई है ।जबकि कमीशन के पोस्टर रोड में झूलने लगे हैं यहां तक कि मझौली नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारी आदिवासी बस्ती के लोगों को भी किसी तरह से कोई सुझाव,। सामग्री नहीं दिए हैं ना ही उनके बीच जाकर लॉक डाउन के नियमों को बताया गया है ।निर्धारित समय नियम की जानकारी ना होने के कारण अनपढ़, गरीब ,आदिवासी जिन्हें समाचार पत्र व सोशल मीडिया से जानकारी नहीं मिलती पुलिस के डर से घरों में छोटे-छोटे बच्चों को लिए घुसे हुए हैं जिनके पास कुछ अनाज भी है तो उनको यह तक नहीं बताया गया की आटा चक्की  चालू कर दी गई है वही संपूर्ण नगर परिषद क्षेत्र में गंदगी का साया बिछा हुआ है जिससे संक्रमण फैलने का भय लोगों को सता रहा है । इस संबंध में जब प्रभारी सीएमओ लेखा अधिकारी लालजी सिंह जोकि वर्षों से नगर परिषद का प्रभार सवारे हुए हैं। उनसे पूछा गया तो उनके द्वारा गैर जिम्मेदार बयान देते हुए बताया गया कि हमारे पास कोई अभी ऐसी रिपोर्ट नहीं आई है जो भी रिपोर्ट आएगी उस से निपटा जाएगा सामाजिक संगठनों द्वारा कुछ को राशन व  खाना दिया गया है बचाव सामग्री व राहत सामग्री के प्रदान किए जाने के पूछे जाने पर उनके द्वारा बोला जा रहा है कि शासन द्वारा लॉक डाउन किया गया है इसका मतलब है घर के अंदर रहे अब सवाल यह उठता है कि जब गरीब मजदूर घर के अंदर से निकल ही नही पा रहा तो कार्यालयों में ऐसो -आराम कर रहे अधिकारियों के पास अपनी विपत्ति सुनाने कैसे जा पाएंगे पार्षदों का भी कहना है कि अध्यक्ष व  सीएमओ द्वारा किसी तरह से कोई गरीबों की व्यवस्था नहीं की जा रही है लोगों को घर से नहीं निकलने दिया जा रहा है समुचित जानकारियां भी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं बचाव और राहत सामग्री वितरण की बात ही छोड़िए। हमारे अधिकारी कर्मचारी समुचित जानकारी भी नही दे रहे है। किराना व सब्जियों का अभी तक रेट निर्धारित नही किया गया है गरीबो, अशिक्षितों,से ज्यादा राशि वसूली जा रही है।प्रशासनिक अधिकारियों के इस रवैया से साफ जाहिर होता है कि मझौली प्रशासन गरीब ,मजदूर को सुविधा मुहैया व संक्रमण के बचाव के लिए कितना मुस्तैद है। हमारे संवाददाता से गरीब आदिवासी जो रोज काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे एक हफ्ते से घरों में कैद है जिनके पास खाने-पीने की सामग्री नहीं है समाचार पत्र के माध्यम से जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समुचित व्यवस्था किए जाने की अपील की गई हैंजब इसकी पड़ताल करने  जागरण टीम पहुंची तो जमीनी हकीकत कुछ और निकली  इन सेंटरों में  अभी किसी तरह से कोई तैयारी नहीं की गई है ।मॉडल स्कूल, अंबेडकर भवन ,कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय टिकरी में ताला लटका रहा, वही अन्य जगहों में मिले कर्मचारियों के द्वारा बताया गया कि आज से चार-पांच दिन पहले हमारे ऐसी कुछ लोगों के साथ आए थे सर्वे कर गए हैं इसके अलावा किसी तरह से कोई तैयारी अभी तक नहीं की गई है। शासकीय मॉडल स्कूल मझौली के प्रभारी प्राचार्य प्रेम नारायण मिश्रा द्वारा फोन करने पर बताया गया कि इस के लिए हमें कुछ नहीं कहा गया है ना तो अभी कुछ तैयारी की गई है स्कूल की चाबी हमारे कर्मचारियों के पास ही है हमें जहां तक जानकारी है तो इसका सर्वे तक ही किया गया है जरूरत पड़ने पर सेंटर बनाया जाएगा। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ नगर परिषद मझौली में भी जरूरतमंदों को अभी तक कोई बचाव व राहत सामग्री  प्रदान नहीं की गई है ।जबकि कमीशन के पोस्टर रोड में झूलने लगे हैं यहां तक कि मझौली नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारी आदिवासी बस्ती के लोगों को भी किसी तरह से कोई सुझाव,। सामग्री नहीं दिए हैं ना ही उनके बीच जाकर लॉक डाउन के नियमों को बताया गया है ।निर्धारित समय नियम की जानकारी ना होने के कारण अनपढ़, गरीब ,आदिवासी जिन्हें समाचार पत्र व सोशल मीडिया से जानकारी नहीं मिलती पुलिस के डर से घरों में छोटे-छोटे बच्चों को लिए घुसे हुए हैं जिनके पास कुछ अनाज भी है तो उनको यह तक नहीं बताया गया की आटा चक्की  चालू कर दी गई है वही संपूर्ण नगर परिषद क्षेत्र में गंदगी का साया बिछा हुआ है जिससे संक्रमण फैलने का भय लोगों को सता रहा है । इस संबंध में जब प्रभारी सीएमओ लेखा अधिकारी लालजी सिंह जोकि वर्षों से नगर परिषद का प्रभार सवारे हुए हैं। उनसे पूछा गया तो उनके द्वारा गैर जिम्मेदार बयान देते हुए बताया गया कि हमारे पास कोई अभी ऐसी रिपोर्ट नहीं आई है जो भी रिपोर्ट आएगी उस से निपटा जाएगा सामाजिक संगठनों द्वारा कुछ को राशन व  खाना दिया गया है बचाव सामग्री व राहत सामग्री के प्रदान किए जाने के पूछे जाने पर उनके द्वारा बोला जा रहा है कि शासन द्वारा लॉक डाउन किया गया है इसका मतलब है घर के अंदर रहे अब सवाल यह उठता है कि जब गरीब मजदूर घर के अंदर से निकल ही नही पा रहा तो कार्यालयों में ऐसो -आराम कर रहे अधिकारियों के पास अपनी विपत्ति सुनाने कैसे जा पाएंगे पार्षदों का भी कहना है कि अध्यक्ष व  सीएमओ द्वारा किसी तरह से कोई गरीबों की व्यवस्था नहीं की जा रही है लोगों को घर से नहीं निकलने दिया जा रहा है समुचित जानकारियां भी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं बचाव और राहत सामग्री वितरण की बात ही छोड़िए। हमारे अधिकारी कर्मचारी समुचित जानकारी भी नही दे रहे है। किराना व सब्जियों का अभी तक रेट निर्धारित नही किया गया है गरीबो, अशिक्षितों,से ज्यादा राशि वसूली जा रही है।प्रशासनिक अधिकारियों के इस रवैया से साफ जाहिर होता है कि मझौली प्रशासन गरीब ,मजदूर को सुविधा मुहैया व संक्रमण के बचाव के लिए कितना मुस्तैद है। हमारे संवाददाता से गरीब आदिवासी जो रोज काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे एक हफ्ते से घरों में कैद है जिनके पास खाने-पीने की सामग्री नहीं है समाचार  के माध्यम से जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समुचित व्यवस्था किए जाने की अपील की गई हैं


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